भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने को लेकर कल होगी कमांडर स्तरीय 11वें दौर की वार्ता
आकाश ज्ञान वाटिका, 8 अप्रैल 2021, गुरूवार, नई दिल्ली। भारत और चीन की सेना के बीच शुक्रवार, 9 अप्रैल को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में सुबह 10:30 बजे कॉर्प्स कमांडर स्तर की 11वें दौर की वार्ता होगी। इस वार्ता में फ्रिक्शन पॉइंट पर डिसइंगेजमेंट पर चर्चा होगी। यह जानकारी भारतीय सेना के सूत्रों से गुरुवार को दी गई। 21 फरवरी को दसवें दौर की कमांडर स्तरीय वार्ता हुई थी जो 16 घंटों तक चली थी।
भारत और चीन के बीच तनावों को सुलझाने के लिए कमांडर स्तर की वार्ता के कई दौर हो चुके हैं। कल होने वाली वार्ता में भारत गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स से सैनिकों की जल्द वापसी के मुद्दे को उठाएगा साथ ही देपसांग में लंबित मुद्दों के समाधान पर भी जोर दिया जाएगा। सेना के सूत्रों से मिली जानकारी में यह भी बताया गया है कि दोनों पक्षों के बीच पहले ही 11 वें दौर की वार्ता को लेकर विचारों का आदान-प्रदान किया गया। दोनों पक्षों के बीच अभी तक 10 दौर की कमांडर स्तर की वार्ता हो चुकी है। नौवें दौर की वार्ता में दोनो पक्षों के बीच पैंगोंग झील के पास से सैनिकों को वापस बुलाने की सहमति बनी थी। कल होने वाली कमांडर स्तरीय वार्ता का उद्देश्य भी पहले हो चुकी वार्ता की तरह ही है यानि जिन स्थलों पर तनाव की स्थिति है वहां से भी सैनिक वापस बुलाए जाएं ताकि पूर्वी लद्दाख स्थित सीमा पर शांति बहाली हो सके। जिन स्थानों पर चीन के सैनिकों की मौजूदगी बरकरार है उनमें हॉट स्पि्रंग, गोगरा और देपसांग हैं। दोनों देशों के बीच तनाव के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच दो स्तरों पर बातचीत हो रही है। एक विदेश मंत्रालयों के बीच डब्लूएमसीसी के तहत बातचीत होती है जबकि दूसरा स्तर सैन्य कमांडरों का होता है। डब्लूएमसीसी ने इस तनाव भरे माहौल में भी कूटनीतिक स्तर पर आपसी विमर्श को जारी रखने का मौका दिया है।
भारत और चीन इस बात पर सहमत हैं कि जब तक लंबित मुद्दों का समाधान निकल आता, तब तक बातचीत का दौर जारी रहेगा। इसका मकसद यही होगा कि जल्द से जल्द सैनिकों की वापसी हो सके। महत्वपूर्ण सहमति यह भी बनी है कि जब तक अंतिम समाधान ना निकले तब तक एलएसी पर शांति बनाए रखी जाए और कोई भी मुश्किल हालात पैदा नहीं होने दिए जाएं। बता दें कि पिछले वर्ष पैंगोंग झील वाले क्षेत्र में दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों पक्षों ने भारी हथियारों के साथ सीमा पर हजारों सैनिक तैनात किए थे।