सीएमओ डाॅ० मीनाक्षी जोशी ने डेंगू व मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए उसके बचाव के उपाय बताये
आकाश ज्ञान वाटिका, मंगलवार, 19 मई 2020, देहरादून (जि.सू.का.)। विगत वर्ष 2019 में डेंगू की भयावह स्थिति को देखते हुए, वर्तमान इस वर्ष में भी डेंगू/मलेरिया बुखार फैलने की सम्भावना को दृश्टिगत रखते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ० मीनाक्षी जोशी ने डेंगू व मलेरिया के लक्षणों की जानकारी देते हुए आम जनमानस को उसके बचाव के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि डेंगू बुखार एक प्रकार के मच्छर के काटने से फैलने वाला वायरल बुखार है मच्छर एक वैक्टर है और इसके द्वारा फैलने वाली बिमारी को मच्छर जनित रोग कहते हैं। डेंगू सभी मच्छरों के काटने से नहीं फैलता है। संक्रमित एडीज ईजिप्टाइ और एडीज एल्बोपिक्टस नामक मादा मच्छर के काटने से यह फैलता है। एडीज मच्छर के शरीर पर काले व सफेद रंग की पट्टियाॅ हाती हैं। उन्होंने बताया कि यह मच्छर ज्यादातर दिन के समय ही काटते हैं। एडिज मच्छर एकत्रित साफ व स्थिर पानी में पनपता है। अगर किसी व्यक्ति को डेंगू का संक्रमण है और एडिज मादा मच्छर उस संक्रमित व्यक्ति से खून पीता है तो मच्छर में डेंगू वायरस युक्त खून चला जाता है तथा यह संक्रमित मच्छर जब किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति डेंगू के वायरस से संक्रमित हो जाता है। इस प्रकार यह चक्र चलता रहता है।
माानव निर्मित बर्तन, पानी की टंकी, रूम कूलर, फूल दान, टूटी फूटी बोतलें, नारियल का खोल, गमले, टंकी के ढक्कन का किनारा, पुराने टायर्स व डिब्बे आदि यहाॅ तक कि पत्तियों में भी अगर एक सप्ताह तक पानी ठहरा हो तो यह मच्छर आसानी से पनप सकता है अधिकांशतः यह मच्छर घर के अन्दर ही रहता है तथा दिन के समय काटता है।
उन्होंने डेंगू के प्रकार के सम्बन्ध में बताया कि डेंगू वायरस चार प्रकार के होते है DEN1, DEN2, DEN3, DEN4. डेंगू बिमारी एक ऐसा बुखार है जिसे महामारी के रूप में देखा गया है। वयस्कों की तुलना में बच्चों में इस बिमारी की तीव्रता अधिक होती है तथा डेंगू उन लोगों को ज्यादा प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। संक्रमित मच्छर द्वारा स्वस्थ्य व्यक्ति को काटने एवं व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट होने की अवधि को संक्रमण काल कहते हैं। यह 3-14 दिनों तक होता है। डेंगू बुखार के लक्षण तीन प्रकार का होता है, डेंगू साधारण बुखार, डेंगू हॅमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिन्ड्रोम है।
ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार चढना, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना, इसी कारण इसे हडडी तोड़ बुखार भी कहते हैं, आँखों के पिछलेे भाग में दर्द होना जो आँखों को दबाने या हिलाने से और भी बढ़ जाता है। अत्याधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, गले में दर्द होना, शरीर पर लाल चकते आना आदि डेंगू के लक्षण हैं। साधारण डेंगू बुखार की अवधि लगभग 5-7 दिन तक रहती है और रोगी स्वयं ठीक हो जाता है। यदि साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ निम्नलिखित लक्षणों में से एक भी लक्षण प्रकट होता है। त्वचा पर गहरे नीले काले रंग के छोटे या बड़े चकते पड जाना, नाक मसूढों से खून आना आदि रक्स्राव (हैमरेजि बुखार) के लक्षण हैं। इस प्रकार के डेंगू बुखार में हैमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ कुछ और लक्षण भी प्रकट हो जाते हैं, जैसे रोगी अत्यधिक बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद भी उसकी त्वचा ठंडी महसूस होती है। रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है। यदि रोगी की नाड़ी देखी जाए तो वह तेज और कमजोर महसूस होती है। रोगी का रक्तचाप कम होने लगता है। उपचार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि साधारण डेंगू बुखार स्वंय ठीक होने वाला रोग है इसका उपचार लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। बुखार के लिए पेरासिटामाॅल की गोली ही सुरक्षित है। रोगी की डिस्प्रिन/एस्प्रिन कभी न दें। सामान्य रूप से भोजन देना जारी रखें व अधिक पानी पिलायें। रोगी को आराम करने देे। यदि रोगी में डेंगू या हैमरेजिक बुखार, डेंगू शॉक सिन्ड्रोम की ओर संकेत करने वाला एक भी लक्षण प्रकट होता नजर आए तो रोगी को शीघ्र निकटतम अस्पताल में ले जाए ताकि वहाॅ आवश्यक परीक्षण करके रोग का सही उपचार किया जा सके। डेंगू हैमरोजिक बुखार/डेंगू शॉक सिन्ड्रोम होन पर डॉक्टर की राय एवं आवश्यकतानुसार ही प्लेटलेट चढायें जाते हैं। यह भी याद रखने योग्य बात है कि डेंगू बुखार के प्रत्येक रोगी की प्लेटलेट चढ़ाने की आवश्यकता नहीं होती है।
मलेरिया बुखार मादा एनाफिलीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। जिसके लक्षण अचानक बहुत ठण्ड लगकर तेजबुखार और दाॅत का बजना हैं। रोगी बहुत ओढ़ावन ओढ़ता चाहता है। शरीर में जलन, सिर व बदन दर्द, फिर पसीना आकर बुखार का उतरना। यदि किसी बुखार के रोगी में उपरोक्त लक्षण पाए जातें हैं तो वह अपने नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर अपने खून की जाॅच कराए, जहाॅ पर मलेरिया की जाॅच एवं उपचार निःशुल्क किया जाता है तथा जाॅच के उपरान्त ही चिकित्सक के परामर्शानुसार ही मूल उपचार करायें।
डेंगू/मलेरिया सें बचाव
डेंगू का अभी तक न कोई टीका विकसित नहीं हुआ है और न ही कोई विषेश दवा तैयार हुई है। चूॅकि डेंगू एक वायरल संक्रमण है और ये बिमारी मच्छर द्वारा फैलती है। अतः डेंगू से बचने के लिए जरूरी है मच्छरो से बचना। उन्होंने बताया कि डेंगू मलेरिया से बचाव हेतु अपने घर के अन्दर एवं आस पास मच्छरों को ना पनपने दें। घर और उसके आस-पास पानी एकत्र न होने दें क्योकि रूके हुए पानी में ही मच्छर पैदा होते है। कूलर, फूलदान, रिफ्रेजिरेटर की ट्रे आदि का पानी, सप्ताह में एक बार पूरी तरह खाली करें तथा सुखा कर ही प्रयोग करें। किसी भी खुले बर्तन बेकार टूटी-फूटी बोतलों, टायरों, डिब्बों, नारियल के खोल, गमलें आदि में पानी एकत्रित न होने दें। पानी की टंकियों को ढक कर रखें ताकि मच्छर उसमें प्रवेश कर प्रजनन न कर पायें। घर व घर के आस-पास के क्षेत्र में सफाई रखें। घर की बेकार वस्तुएं एवं कूडा -करकट इधर-उधर न फेंके। गढ्ढों को पूरी तरह भर दे तथा नालियों को साफ रखें उनमें पानी न रूके तथा पानी का बहाव सही प्रकार सें हों। यदि आस-पास भरा हुआ पानी को हटाना आसान न हो तो उसमें केरोसीन / मोबील ऑइल डालें। घर की खिडकियों व दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें। पूरी बाॅहों वाले कपउे/ऐसे कपडें जिससे शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे, पहनें। मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॅाइल्स आदि प्रयोग करें। मच्छरदानी लगाकर सोयें।
उन्होंने बताया कि यदि आपके क्षेत्र में मच्छरों की संख्या में अधिक वृद्धि हो गयी है या फिर बुखार से काफी लोग ग्रसित हो रहे हैं तो अपने स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र, नगर निगम, नगरपालिका या पंचायत केन्द्र मे अवश्य सूचना दे। डेंगू बुखार की जाॅच सभी राजकीय चिकित्सालयों में निःशुल्क की जाती है।