मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आईएएस वीक पर आयोजित डीएम सम्मेलन को सम्बोधित किया
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि प्रशासन में किए जा रहे प्रयोग आम व्यक्ति पर केंद्रित होना चाहिए। हर काम का लक्ष्य निर्धारित किया जाए। टीम भावना से काम किया जाए। हरेला पर एक दिन में पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण किया जाएगा। शहरों में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईएएस वीक पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार, विश्वकर्मा भवन, सचिवालय में आयोजित डीएम सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने थ्री टी- ट्रेड, टेक्नोलोजी और टूरिज्म पर विशेष बल दिया है। इन तीन सेक्टर पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें जनता की सेवा का मौका मिला है। इसलिए हमारी जिम्मेवारी भी अधिक है। गरीबों की सेवा से स्वयं को अच्छा महसूस होता है।
सरकार की योजनाओं का लाभ दूर दराज के व्यक्ति तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए। जिलों में अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए नवाचारों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लक्ष्य निर्धारित कर काम किया जाए। फील्ड में टीम भावना के साथ काम हो। जिलाधिकारी अपने सहयोगियों को प्रोत्साहित करें। टीम उत्साहित होती है तो काम सरल हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरीकरण को देखते हुए साफ-सफाई व स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। स्वच्छता को रूटीन में लाया जाए। इसके लिए जागरूकता अभियान निरंतर संचालित किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी जिले के गणमान्य लोगों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ लगातार संवाद करें। उनसे फीडबैक और सुझाव प्राप्त करें। कुपोषित बच्चों को गोद लिया गया था। उनकी दशा में कितना सुधार हो रहा है, इसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष हरेला त्यौंहार पर प्रदेश वृक्षारोपण का वृहद अभियान संचालित किया जाएगा। हरेला पर एक ही दिन में पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 9 नवम्बर 2020 तक पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य निर्धारित कर मिशन मोड में काम किया जाए। अगर हर व्यक्ति यह तय कर ले कि वह एक निरक्षर व्यक्ति को साक्षर करेगा तो पूर्ण साक्षरता का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी विकासात्मक निर्माण कार्य प्रारम्भ करते समय उसके पूर्ण होने की अवधि भी निश्चित की जानी चाहिए। जिलों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किये जाए। कोशिश की जाए वहां की मांग की पूर्ति जिले में ही उत्पादित व निर्मित उत्पादों से पूरी की जा सके।
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री को आईएएस वीक का ब्यौरा देते हुए बताया कि इस वर्ष का आईएएस वीक कई मायनों में विशेष रहा है। इस वर्ष मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर आईएएस वीक में ओपन हाउस के अन्तर्गत जनपद स्तर के अधिकारियों को भी अपने अपने क्षेत्र में आ रही समस्याओं को रखने का अवसर दिया गया है। उन्होंने बताया कि जिलाधिकारियों ने अपने अपने जनपदों में शुरू की गयी विभिन्न पहलों के विषय में प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जानकारी दी। इससे अन्य जनपदों में भी इस प्रकार की पहलों को शुरू किया जा सकेगा। उन्होंने जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग के द्वारा दिए सुझाव सुपर 100 को जिला स्तर पर शुरू करने की सराहना की।
मुख्य सचिव ने महिलाओं के बेरोजगारी स्तर में सुधार लाने पर विशेष ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि महिलाओं की बेरोजगारी को दूर करके ही महिला सशक्तिकरण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिरूल से विद्युत उत्पादन योजना में जिलाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जिलाधिकारी फैसिलिटेटर की भूमिका निभाते हुए प्रोजेक्ट्स के फोरेस्ट क्लीयरेंस और बैंक सम्बन्धी समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं। उन्होंने सीडीओ उधमसिंह नगर के ट्यूबवेल के आसपास के तालों को पुनर्जीवीकरण सम्बन्धी सुझाव की सराहना करते हुए कहा कि यह ग्राउण्ड लेवल वाटर में सुधार लाने में काफी सहायक होगा। मुख्य सचिव ने कहा कि मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु जिलाधिकारियों को चिकित्सालयों में इस प्रकार के प्रत्येक केस में का ऑडिट करना चाहिए। उन्होंने जिलाधिकारी नैनीताल द्वारा गरीब-वंचित बच्चों, ड्रॉप आउट एवं भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों को शिक्षा देने की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि शिक्षा सभी का अधिकार है और कोई भी वंचित नहीं रहना चाहिए।
आईएएस वीक के अन्तर्गत मंगलवार को विश्वकर्मा भवन, सचिवालय के वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित बैठक के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों द्वारा ईज ऑफ गवर्नेंस के क्षेत्र में राज्य की विभिन्न पहलों एवं योजनाओं के संबंध में जानकारी दी गई।
सर्वप्रथम अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने ई-गवर्नेंस से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के विकास में प्रशासन की प्रभावी सर्विस डिलीवरी बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक आईएएस अधिकारी को आम जनता के लिए सुलभ होना बहुत जरूरी है। आम नागरिक की गरिमा और सम्मान का भी ध्यान रखना होगा। उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए जिला स्तर में भी ई-ऑफिस की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ई सर्विसेज में और सेवाओं को जोड़कर इनकी संख्या 200 तक पहुंचाना चाहती है।
सचिव सूचना प्रोद्योगिकी श्री आर के सुधांशु ने ई गवर्नेंस में आईटी इनिशिएटिव पर चर्चा करते हुए बताया कि प्रदेश में सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में बहुत सी पहल की गई हैं। डिजिटल इंडिया के अनुरूप ही राज्य, डिजिटल उत्तराखण्ड की ओर बढ़ रहा है। राज्य में स्टेट डाटा सेंटर, ड्रॉन एप्लीकेशन सेंटर, ई-डिस्ट्रिक्ट जैसे विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर कार्य चल रहा है। उन्होंने जिलाधिकारियों से आधार किट के शीघ्र एक्टीवेशन की बात कही। उन्होंने फेसलैस, कैशलैस एवं पेपरलैस की ओर बढ़ने पर विशेष बल दिया।
सचिव मुख्यमंत्री श्रीमती राधिका झा ने सीएम डैशबोर्ड एवं सीएसआर पोर्टल की जानकारी देते हुए बताया कि हमें प्रोफेशनल होने की आवश्यकता है। इसके लिए सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से आउटकम बेस्ड मॉनिटरिंग करने की जा रही है। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन, पारदर्शिता और सर्विस डिलीवरी में काफी सुधार हुआ है। सचिव श्रीमती झा ने कहा कि जनपदों में विभिन्न कार्यों हेतु सीएसआर फंड्स की आवश्यकता होती है। इसमें शासन और सीएसआर की सहायता के लिए सहयोग पोर्टल की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि जिन जनपदों में किसी भी योजना हेतु सीएसआर फंड्स की आवश्यकता होती है। कॉरपोरेट एवं सरकार के मध्य गैप को कम करने हेतु तैयार इस पोर्टल के माध्यम से विभागाध्यक्ष अपने ऐसे प्रोजेक्ट्स, जिन्हें वे अपने संसाधनों से नहीं कर पा रहे हैं, को प्राथमिकता के आधार पर अपलोड करेंगे। इससे कॉरपोरेट जगत को ऐसे प्रोजेक्ट्स या क्षेत्रों की जानकारी मिल जाएगी जिन क्षेत्रों में उनका सहयोग अपेक्षित है। सचिव श्रीमती झा ने बताया कि पोर्टल में कॉरपोरेट को सेक्टर और जनपद चयन करने का भी विकल्प होगा। इन प्रोजेक्ट्स की मॉनिटरिंग भी सीएम डैशबोर्ड के माध्यम से लगातार की जाएगी।
सचिव गृह श्री नितेश कुमार झा ने जिलाधिकारियों को जेलों में लगातार निरीक्षण की बात भी कही। साथ ही महिला कैदियों को मिलने वाली मेडिकल और लीगल एड की भी समीक्षा करने की बात कही।
दिवस के द्वितीय सत्र में प्रमुख सचिव श्रीमती मनीषा पंवार ने राज्य में उद्योग और एमएसएमई के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों पर चर्चा करते हुए बताया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के क्षेत्र में प्रदेश में काफी कार्य हुए है। राइट टु सर्विस एक्ट और सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम के माध्यम से प्रदेश में उद्योग बढ़ावा दिया जा रहा है। सिंगल विंडो में जनपद स्तर पर विशेष मेहनत किए जाने की आवश्यकता है।
सचिव राजस्व श्री सुशील कुमार ने कहा कि प्रदेश में राजस्व के क्षेत्र में अपने सिस्टम को फुल्ली आटोमेटेड हो रहा है। सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भूमि लीज पर दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि म्यूटेशन के क्षेत्र में पेंडिंग केसों का तेजी से निपटान करने हेतु जिलाधिकारियों को इसमें विशेष ध्यान देना होगा। लैंड रिकॉर्ड डिजिटाईजेशन में भी तेजी लाने की आवश्यकता है।
जिलाधिकारी उधमसिंह नगर श्री नीरज खैरवाल ने बताया कि वे सिंगल विंडो एवं जन सुनवाई के मामलों को औसतन 3 से 4 दिन में निपटा रहे हैं। उनके द्वारा पेंडिंग मामलों से संबंधित अधिकारियों से लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। उन्होंने अधिकारियों से एनओसी को भी सिंगल विंडो सिस्टम में शामिल करते हुए समयबद्ध तरीके से निपटान हेतु सिस्टम तैयार किया जाए।
सचिव परिवहन श्री शैलेश बगोली ने कहा कि परिवहन से सम्बन्धित 22 सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है। इससे ऑनलाइन लेनदेन में वृद्धि हुई है।
जिलाधिकारी चमोली श्रीमती स्वाति भदौरिया ने जनपद में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बचपन प्रोजेक्ट के अन्तर्गत झूले व खिलौने उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 32 स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में रेनोवेट किया गया है। कॉम्पटेटिव एग्जाम के लिए कोचिंग कराई जा रही है। नदियों के पुनर्जीविकरण, सन्डे मार्केट का आयोजन, सोलर पम्प, ओपन जिम आदि जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने प्रतिभागी अधिकारियों को कन्डाली से बने जैकेट प्रदान किए। ये जैकेट चमोली के स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए हैं।