मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में साल-2020 में ‘बातें कम, काम ज्यादा’ की तर्ज पर उत्तराखण्ड में तेजी से हुए विकास कार्य
आकाश ज्ञान वाटिका, ३१ दिसम्बर २०२०, गुरूवार, देहरादून (सू.ब्यूरो)। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में साल-2020 में उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। बातें कम, काम ज्यादा की तर्ज पर इस वर्ष राज्य में तेजी से विकास कार्य हुए। जहाँ एक ओर वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई लड़ी गई, वहीं राज्य को नई दिशा देने वाले फैसले लिए गए। इस वर्ष जनभावनाओं का सम्मान देखा गया तो वर्षों से लम्बित परियेाजनाओं को पूरा होते हुए भी देखा गया। यदि इस वर्ष की महत्वपूर्ण घटनाओं पर नजर डालें तो उत्तराखंड में वर्ष-2020 में विकास ने निश्चित रूप से गति पकड़ी है।
[box type=”shadow” ]आइये जानते हैं सरकार की इस साल की उपलब्धियों के बारे में :
गैरसैंण बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी
गैरसैैंण राज्य आंदोलन की मूल भावना थी। गैरसैंण प्रतीक है, समूचे पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का। इसी भावना और सोच के साथ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इस वर्ष 4 मार्च को मुख्यमंत्री ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण में आयेाजित बजट सत्र के दौरान उत्तराखण्डवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैण-भराड़ीसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को विश्व की सबसे सुन्दर राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने के प्रति मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की गम्भीरता इसी बात से पता चलती है कि 4 मार्च को घोषणा की गई और 8 जून को बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में नया इतिहास रचा गया। उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ, जब स्वतंत्रता दिवस पर किसी मुख्यमंत्री द्वारा गैरसैंण-भराड़ीसैंण में ध्वजारोहण किया गया।
राज्य स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर को गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र में प्रदेश की राजधानी के अनुरूप अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास के लिए अगले 10 वर्षों में 25 हजार करोड़ रूपए खर्च करने की घोषणा की। साथ ही गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र की कार्ययोजना के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी का गठन किया गया। राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 240 करोड़ की महत्वपूर्ण योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। यहाँ सचिवालय का शिलान्यास किया जा चुका है। पेयजल योजना पर काम चल रहा है। गैरसैण में फाईलों को बड़े पैमाने पर ले जाने की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए आईटी का उपयोग करते हुए ई-विधानसभा पर काम किया जा रहा है। बेनीताल में एस्ट्रोविलेज बनाया जाएगा। सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी। सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। हैलीपेड बनाया जा रहा है। चाय विकास बोर्ड का मुख्यालय गैरसैंण में बनाया जाएगा।
चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विधिवत गठन
राज्य गठन के बाद किया गया सबसे बड़ा साहसिक और ऐतिहासिक फैसला है, देवस्थानम बोर्ड बनाना। 15 जनवरी 2020 को विधिवत रूप से ‘उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ का गठन किया गया। भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। बाबा केदारनाथ जी सहित चार धाम की व्यवस्थाओं में जो सुधार किया उसका परिणाम है कि पिछले वर्ष 2019 मेें श्रद्धालुओं की संख्या में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ऑल वेदर रोड़ और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना बनने के बाद वर्ष 2025 तक चारधाम यात्रा पर 1 करोड़ के करीब श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रबंध और व्यवस्थायें भी उतने ही बड़े स्तर पर करनी होंगी और व्यवस्थाओं की जिम्मेवारी राज्य सरकार की है। बड़े विचार विमर्श के बाद तीर्थ पुरोहितों के हितों को सुरक्षित रखते हुए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। बजट में देवस्थानम बोर्ड के लिए मद भी खोल दी गई है। देवस्थानम बोर्ड का गठन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए किया गया है। चार धाम देवस्थानम बोर्ड केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के साथ ही अन्य प्रमुख मंदिरों को भी विकसित करेगा, जिससे श्रद्धालु इन मंदिरों के पौराणिक और धार्मिक महत्व से अवगत होंगे और वहाँ भी दर्शनों के लिए आयेंगे।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना
वर्ष-2020 में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की एक बड़ी देन है ‘मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना’। 28 मई को प्रारम्भ की गई यह योजना कोराना काल में वापस आए प्रवासियों और राज्य के युवाओं को सम्मानजनक तरीके से आजीविका प्रदान करने का बड़ा माध्यम बन रही है। एम.एस.एम.ई. के तहत ऋण और अनुदान की व्यवस्था है। इसमें विनिर्माण में 25 लाख रूपये और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रूपये तक की परियोजनाओं पर ऋण की व्यवस्था है। मार्जिन मनी, अनुदान के रूप में समायोजित की जाती है। इससे कुशल और अकुशल दस्तकार, हस्तशिल्पि और बेरोजगार युवा खुद के व्यवसाय के लिए प्रोत्साहित होंगे। राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। राज्य सरकार द्वारा रिवर्स पलायन के लिए किए जा रहे प्रयासों में यह योजना महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में आनलाईन आवेदन भी किए जा सकते हैं।
विभिन्न विभागों की स्वरोजगार योजनाओं को एक प्लेटफार्म पर लाकर युवाओं को अपनी पसंद, दक्षता और उपयोगिता के अनुसार स्वरोजगार प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 150 से अधिक प्रकार के काम शामिल हैं। मुख्यमंत्री द्वारा जिलों में जिला योजना का 40 प्रतिशत स्वरोजगार पर खर्च करने के निर्देश दिए गए हैं। अब तक इस योजना के तहत 7029 लोगों के लोन प्रस्ताव को कमेटी द्वारा अनुमोदित किया जा चुका है। अल्मोड़ा से 474, बागेश्वर से 369, चंपावत से 424, चमोली से 395, देहरादून से 482, हरिद्वार से 466, नैनीताल से 570, पौड़ी से 665, पिथौरागढ़ से 501, रूद्रप्रयाग से 330, टिहरी से 610, उधमसिंहनगर से 525 तो उत्तरकाशी से 1218 लोगों के प्रस्तावों को कमेटी अनुमोदित कर चुकी है। कुल 1134 लोगों को अब तक इस योजना में ऋण वितरित किया जा चुका है। शेष आवेदन प्रक्रिया में हैं।
मुख्यमंत्री सौर ऊर्जा स्वरोजगार योजना
अब प्रदेश में सोलर फार्मिंग से भी स्वरोजगार मिलेगा। 8 अक्टूबर को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा प्रारम्भ की गई। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचलित इस योजना में 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनायें आवंटित की जायेंगी। प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। राज्य के स्थाई निवासी अपनी निजी भूमि या लीज पर भूमि लेकर सोलर पावर प्लांट की स्थापना कर सकते हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग की इस योजना में सोलर पैनल लगाने के साथ उसी भूमि पर मौन पालन, फल, सब्जी और जड़ीबूटी आदि का उत्पादन भी किया जा सकता है। संयंत्र स्थापित की जाने वाली भूमि पर जलवायु आधारित औषधीय और स्कन्ध पादपों के बीज निशुल्क उपलब्ध कराए जायेंगे। एमएसएमई के आनलाईन पोर्टल के माध्यम से इच्छुक पात्र व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी। योजना का क्रियान्वयन उरेड़ा द्वारा किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को यूपीसीएल द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। चयनित लाभार्थी को अपनी भूमि के भूपरिवर्तन के बाद मोर्टगेज करने के लिए लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। तकनीकी समिति द्वारा उपयुक्त पाए गए आवेदकों को परियोजना का आवंटन जिला स्तर पर करने के लिए जिलाधिकरी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है। पूरी प्रक्रिया में समय सीमा का विशेष ध्यान रखा गया है।
किसानों की खुशहाली
इस वर्ष राज्य सरकार ने किसानों के हित में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए। पं० दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना में बिना ब्याज के किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे ऋण की सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रूपए कर दिया गया है। अब राज्य के किसान और काश्तकार अपनी जरूरतों के लिए तीन लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के ले सकते हैं। इसी प्रकार स्वयं सहायता समूह पांच लाख रूपए तक का ब्याज मुक्त ऋण का लाभ ले सकते हैं। पहले यह ऋण की सीमा कम थी। योजना प्रारम्भ होने से अभी तक 4 लाख से अधिक किसानों और 1330 समूहों को 2062 करोड़ रूपए का ऋण वितरित किया जा चुका है। प्रदेश में पहली बार गन्ना किसानों का 100 प्रतिशत भुगतान, किया गया है। वन्यजीवों से फसलों की सुरक्षा के लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम शुरू किया गया है। इसमें 4 वानर रेस्क्यू सेेंटरों की स्थापना, 125 किमी जंगली सूअर रोधी दीवार, 50 किमी सोलर फेंसिंग, 13 किमी हाथी रोधी दीवार, 250 किमी हाथी रोधी खाईयों का निर्माण शामिल है। जंगली जानवरों से खेती की सुरक्षा के लिए 94 गाँवों में 101 किलोमीटर घेरबाड़ की गयी है। इस काम को और बढ़ाया जा रहा है। कैम्पा के तहत लगभग 10 हजार वनरक्षक तैनात किए जायेंगे।
केवल 1 रूपए में ग्रामीण घरों में पानी का कनेक्शन
वर्ष-2020 में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एक और बड़ा जनहितकारी फैसला लिया। ग्रामीण घरों को पीने के पानी का कनेक्शन केवल 1 रूपए में दिया जा रहा है जो कि पहले 1360 रूपए था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘हर घर को नल से जल’ के मिशन को प्रदेश में तेजी से आगे बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। ‘जल जीवन मिशन’ के काम को प्राथमिकता से लिया गया है। स्वयं मा० प्रधानमंत्री ने उत्तराखण्ड में ग्रामीण घरों में केवल 1 रूपए में पानी का कनेक्शन देने और कोरोना काल में भी हजारों परिवारों को पानी का कनेक्शन देने पर इसकी सराहना की है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने शहरी क्षेत्रों में भी गरीब परिवारों को केवल 100 रुपये में पानी का कनेक्शन देने का निर्णय लिया है जो कि पहले 6000 रुपये था।
गुड-गर्वनेंस के लिए ई-गर्वनेंस
वर्ष-2020 की शुरूआत एक बड़ी पहल के साथ हुई। आठ जनवरी को प्रदेश मंत्रीमण्डल की पहली ई-केबिनेट बैठक हुई। राज्य में ई-आफिस की प्रक्रिया में भी तेजी लाई गई। सचिवालय के लगभग सभी अनुभागों में ई-आफिस शुरू किया जा चुका है। 3773 फाईलें ई-आफिस के माध्यम से बना दी गई हैं। सचिवालय के साथ ही 27 विभाग ई-आफिस प्रणाली के अन्तर्गत आ चुके हैं। देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर व ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू। राज्य के हर न्याय पंचायत से ई-पंचायत सेवा उपलब्ध कराने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बन गया है। इसी प्रकार सी.एम.डैशबोर्ड ‘उत्कर्ष’: 205 की-परफोरमेंस इंडिकेटर के आधार पर लगभग सभी विभागों की महत्वपूर्ण योजनाओं की मा० मुख्यमंत्री द्वारा रीयल टाईम माॅनिटरिंग की जा रही है। सी.एम. हैल्पलाईन ‘1905’ में अभी तक 35 हजार से अधिक शिकायतकर्ताओं की समस्याओं का 24 घण्टे से लेकर एक सप्ताह के भीतर समाधान किया जा चुका है। सेवा का अधिकार के तहत वर्ष 2017 तक केवल 10 विभागों की 94 सेवायें आती थी, जिन्हे कि वर्तमान सरकार ने बढ़ाकर 27 विभागों की 243 सेवायें किया है।
हेल्थ सिस्टम को मजबूती और कोरोना से जंग
कोराना काल में राज्य में हेल्थ सिस्टम को काफी मजबूत किया गया है। राज्य में पर्याप्त संख्या में कोविड अस्पताल, आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, आक्सीजन सपोर्ट बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध हैं। वर्ष 2017 में जहां प्रदेश में केवल 3 जनपदों में आई.सी.यू. थे, वहीं अब राज्य के सभी जनपदों में आई.सी.यू. स्थापित किए जा चुके हैं। अब अन्य उप जिला और बेस अस्पतालों में भी आई.सी.यू. बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राज्य के जिला अस्पतालों में आक्सीजन पाईपलाईन की व्यवस्था की जा रही है। अप्रैल माह में ई-संजीवनी ओपीडी की शुरूआत की गई। 3 राजकीय मेडिकल कालेज (देहरादून, श्रीनगर तथा हल्द्वानी) संचालित हैं और 4 (अल्मोड़ा, रुद्रपुर, हरिद्वार तथा पिथौरागढ़) का कार्य गतिमान है। अटल आयुष्मान योजना में लगभग 40 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड और 2 लाख 12 हजार मरीजों को निःशुल्क उपचार, जिन पर 203 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है।
राज्य और जिला स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन वितरण और भण्डारण के लिये टास्क फोर्स गठित की गई है। इसका आवश्यक डाटा संकलित किया जा चुका है, अन्य तैयारियाँ गतिमान हैं। 15 मार्च को राजधानी देहरादून में जब कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया तो सूबे में सीमित स्वास्थ्य सुविधायें थी। लेकिन जैसे-जैसे कोरोना का दौर आगे बढ़ा, अडिग इरादों के साथ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के नेतृत्व में सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती की दिशा में कदम आगे बढ़ाने प्रारंभ किए। नतीजा, आज राज्य का स्वास्थ्य विभाग किसी भी तरह की स्थितियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मार्च 2020 में जहाँ राज्य भर में कुल आईसोलेशन बेड्स की संख्या 1200 ही थी तो वह कई गुना बढ़कर 31505 तक पहुँच गई। जब कोरोना आया तो केवल हल्द्वानी की लैब में ही इसकी जाँच की सुविधा थी, लेकिन समय बढ़ने के साथ आज राज्य की 13 सरकारी जबकि 15 प्राइवेट लैबों में कोरोना संक्रमण की जाँच का कार्य किया जा रहा है। प्राइवेट लैब में जाँच के शुल्क को निर्धारित किया गया है। दिसंबर 2020 में राज्य के विभिन्न अस्पतालों में कुल 710 वेंटिलेटर स्थापित किए जा चुके हैं जबकि मार्च में इनकी संख्या महज 116 थी। इसी तरह आईसीयू बेड से लेकर ऑक्सीजन सपोर्ट बेडों की संख्या आज कई गुना बढ़ चुकी है। कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 11 डेडिकेटेड कोविड अस्पताल, 27 कोविड हेल्थ सेंटर व 422 कोविड केयर सेंटरों का निर्माण किया है। कोविड काल में 476 डाक्टरों को तैनात किया गया। जाँचों की संख्या में काफी बढ़ोतरी की गई है। प्रति मिलियन सैम्पलों की संख्या 143852 है, जबकि भारत में यह संख्या 120368 है। उत्तराखण्ड में पाॅजिटीवीटी प्रतिशत 5.34 जबकि भारत में 6.25 है।
कोरोना काल में राज्य सरकार ने प्रवासियों सहित प्रदेशवासियों को राहत पहुँचाने का हर सम्भव प्रयास किया। 61.94 लाख लाभार्थियों को 5 किलो चावल और एक किलो दाल का निःशुल्क वितरण किया गया। प्रवासियों को निःशुल्क राशन दिया गया। बिना राशन कार्ड वालों को भी राशन उपलब्घ कराया गया। लाॅकडाउन में प्रवासियों को निःशुल्क वापस लाया गया। 50 हजार से अधिक आँगनबाड़ी और आशा कार्यकत्रियों को कोरोना वारियर्स के रूप में बेतहर कार्य करने हेतु 02-02 हजार रुपये की सम्मान राशि दी गई। मनरेगा में 7 लाख 66 हजार से अधिक श्रमिकों को रोजगार दिया गया इनमें 1 लाख से अधिक नये पंजीकृृत श्रमिक हैं। पर्यटन, उद्योग, परिवहन, कृषि सहित तमाम क्षेत्रों को रियायतें दी गईं। पर्यटन व्यवसाय में पंजीकृत सवा 2 लाख गाइड, राफ्टर, पोर्टर और परिवहन विभाग में पंजीकृत 25 हजार आटो ई-रिक्शा संचालकों को सहायता राशि प्रदान की गई।
धरातल पर उतरीं महत्वपूर्ण परियोजनायें
राजनीतिक नेतृत्व की दृढ़ता व इच्छा शक्ति से किस तरह से सालों से अधर में लटके काम समय बद्धता से पूरे किए जा सकते हैं, डोबरा चांठी पुल इसका बड़ा प्रमाण है। आज डोबरा चांठी पुल का निर्माण कार्य पूरा होने से 3 लाख से ज्यादा की आबादी लाभान्वित हो रही है। इसी प्रकार मुनि की रेती, ऋषिकेश में 48 करोड़ की लागत से बने 346 मीटर लम्बे जानकी सेतु को भी लोकार्पित किया जा चुका है।
पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लॉक में भैरवगढ़ी ग्राम समूह पम्पिंग पेयजल योजना से इलाके के 75 गाँवों और तोक को पानी मिलने लगा है। देहरादून में सूर्यधार झील लोकार्पित की जा चुकी है। सौंग बाँध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है। इससे देहरादून शहर व आसपास के क्षेत्रों की वर्ष 2050 तक की अनुमानित आबादी को ग्रेविटी आधारित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
इस वर्ष ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में भी तेजी आई है। न्यू ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया है। उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में बी.आर.ओ. द्वारा निर्मित 8 पुलों का लोकार्पण किया गया। इन सभी पुलों का सामरिक दृष्टि से तो महत्व है ही, स्थानीय लोगों को भी इसका बहुत लाभ मिलेगा। पिथौरागढ़ में इन पुलों की लम्बे समय से माँग थी। माँ० प्रधानमंत्री ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया। इन परियोजनाओं के शुरू होने से उत्तराखण्ड से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा। उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं।
“वोकल फाॅर लोकल” का पर्याय बनते रूरल ग्रोथ सेंटर
कोरोना काल में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत और वोकल फाॅर लोकल का आह्वान किया। राज्य में रूरल ग्रोथ सेंटर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रूरल ग्रोथ सेंटर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस वर्ष इसमें और तेजी से काम किया गया है। अभी तक 106 ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी दी जा चुकी है। लगभग 75 ग्रोथ सेंटरों में काम भी शुरू किया जा चुका है। लगभग 30 हजार लोग इनसे लाभान्वित हो चुके हैं जबकि 6 करोड़ से अधिक की बिक्री और 60 लाख से अधिक का शुद्ध मुनाफा ग्रोथ सेंटरों केा हुआ है। इन ग्रोथ सेंटरों का संचालन स्थानीय स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। सरकार द्वारा इन्हें जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रशिक्षण, फारवर्ड व बैकवर्ड लिंकेज आदि सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है। यूएनडीपी के माध्यम से फार्म और नान-फार्म एग्री बिजनेस की 12 वैल्यू चैन तैयार की गई हैं। इनकी आनलाईन मार्केटिंग के लिए वेबसाईट बनाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। लगभग 500 सर्वाधिक पलायन वाले गाँवों के स्वयं सहायता समूहों को ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया गया है।
महिलाओं को भूमिधरी का हक
राज्य में पति की सम्पति में महिलाओं का सह-अधिकार देने का निर्णय लिया गया ताकि उन्हें लोन लेने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। महिलायें अपने नाम पर दर्ज संपत्ति पर स्वरोजगार के लिए बैंकों से ऋण ले सकेंगी, वे आर्थिक रूप से मजबूत होंगी। पर्वतीय क्षेत्रों में खेती का अधिकांश कार्य महिलायें करती हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के लिए राज्य सरकार ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा
चीड़ को राज्य में वनाग्नि का प्रमुख कारण माना जाता रहा है। हरित ऊर्जा में नवाचारी पहल करते हुए इस वर्ष सौर ऊर्जा और पाईन निडिल से बिजली उत्पादन में उल्लेखनीय काम किया गया। सौर ऊर्जा नीति के तहत स्वीकृत परियोजनाओं को धरातल पर उतारा जा रहा है। अभी तक कुल 276 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं। जबकि अन्य आवंटित 203 मेगवाट क्षमता की परियोजनाओं में कार्य प्रगति पर है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरू की गई है जिसमें 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनायें आवंटित की जायेंगी। प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा ऐसी अनूठी पहल की गई जिससे पिरूल अब अभिशाप नहीं, वरदान बन जाएगा। पाईन निडिल एवं अन्य बायोमास आधारित ऊर्जा उत्पादन नीति-2018 के अंतर्गत वर्तमान में 06 परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन गतिमान है। उत्तरकाशी में 25 लाख लागत की पिरूल से विद्युत उत्पादन की 25 केवी क्षमता की परियोजना प्रारंभ की। इस योजना से जंगल में लगने वाली आग से होने वाले नुकसान पर भी काफी हद तक नियंत्रण हो गया है। वन महकमा वन पंचायत, स्वयं सहायता समूह व मान्यता प्राप्त संस्था, व्यक्ति विशेष आदि के माध्यम से वन क्षेत्र में पिरूल एकत्र करने पर दो रुपये प्रति किलो भुगतान करेगा। प्रदेश के सभी जनपदों में 1-1 ग्राम को ऊर्जा दक्ष ग्राम के रूप में विकसित किया जा रहा है। देहरादून में इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल रन किया गया।
क्वालिटी एजुकेशन
प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को वाई-फाई से जोड़ने की शुरूआत की गई। राज्य के सभी 106 महाविद्यालयों एवं 5 विश्वविद्यालयों को इंटरनेट कनेक्टिविटी का लाभ दिया जा रहा है। राज्य सरकार ने प्रत्येक ब्लाॅक में 2-2 अटल उत्कृष्ट विद्यालय खोलने का निर्णय लिया है। इन विद्यालयों में आधुनिक विज्ञान की प्रयोगशालाओं एवं सभी आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। सभी अटल उत्कष्ट विद्यालयों में वर्चुअल क्लास की सुविधा उपलब्ध होगी। इस वर्ष मुख्यमंत्री मेधावी छात्र पुरस्कार योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। उत्तराखंड में विश्वविद्यालयों के यूजी (ग्रेजुएशन) और पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन ) के टॉपर को प्रदेश सरकार की ओर से पुरस्कृत किया जाएगा। अब तक छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय स्तर पर मेडल देकर पुरस्कृत किया जाता रहा है। लेकिन अब प्रदेश सरकार की ओर से मेधावी छात्र-छात्राओं को हर साल पुरस्कृत किया जाएगा।
धार्मिक आस्था का सम्मान
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनता की धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए हरिद्वार में गंगा नदी की धारा को ‘एस्केप चैनल’ घोषित किए जाने के 2016 के आदेश को वापस लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर की पैड़ी पर अविरल गंगा का दर्जा बनाए रखा जाएगा। इस निर्णय की सभी ने प्रशंसा की। [/box]