अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने नाराजगी जताते हुए कहा – मेले की तैयारियों को लेकर कुंभ मेला प्रशासन लापरवाही बरत रहा है
आकाश ज्ञान वाटिका, ८ दिसम्बर २०१९, हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने निरंजनी अखाड़े में कहा कि 2021 में होने वाले महाकुंभ मेले की तैयारियां बेहद धीमी गति से की जा रही हैं। अखाड़ों में होने वाले स्थाई कार्यो को अभी तक शुरू नहीं किया गया है। मेला कार्यो की धीमी गति पर अखाड़ा परिषद ने नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि मेले की तैयारियों को लेकर कुंभ मेला प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। उन्होंने कहा कि मठ, मंदिरों, अखाड़ों के सौन्दर्यकरण के कार्य अभी तक शुरू ही नहीं हो पाए हैं। जिसे लेकर संतों में नाराजगी बनी हुई है। आधे अधूरे कार्यो को अब तक पूरा नहीं किया जा सका है। हाईवे निर्माण से लेकर फ्लाईओवर व पुलों का निर्माण भी बेहद धीमी गति से हो रहा है। निर्माण कार्यो की धीमी गति को देखते हुए इनका कुंभ शुरू होने से पूर्व पूरा होना संभव नहीं लगता। महाकुंभ शुरू होने का समय तेजी से नजदीक आ रहा है। लेकिन मेला प्रशासन कार्यो को तेजी से पूरा नहीं करा पा रहा है। महाकुंभ में देश विदेश से लाखों संत तथा करोड़ो श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचेंगे। संतों व श्रद्धालुओं की विशाल संख्या को पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी चाहिए। इसके लिए सभी निर्माण महाकुंभ शुरू होने से पूर्व ही पूरे होने चाहिए। लेकिन कुंभ मेला प्रशासन कार्यो में तेजी नहीं दिखा रहा है। जबकि अखाड़ों के स्तर पर महाकुंभ को लेकर तेजी से तैयारियां की जा रही हैं।
लेकिन मेला प्रशासन अभी तक महाकुंभ के दौरान अखाड़ों के छावनियों स्थलों को विकसित करने, छावनियों के लिए अखाड़ों को जमीन उपलब्ध कराने जैसे कार्यों को ही पूर्ण नहीं कर पाया है। अखाड़ों में होने वाले स्थायी कार्यो को भी अभी तक शुरू नहीं किया गया है। मठ, मंदिरों के सौन्दर्यकरण का कार्य भी अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। यदि समय पर कार्य पूर्ण नहीं हो पाए तो श्रद्धालुओं व संतों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि वे आठ व नौ दिसंबर को हरिद्वार में सभी अखाड़ों के संतों महंतों से मिलकर कुंभ मेले की व्यवस्थाओं पर चर्चा करेंगे। इसके बाद 10 दिसंबर को निरंजनी अखाड़े में सभी तेरह अखाड़ों की बैठक आयोजित की जाएगी। जिसमें 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री के साथ होने वाली बैठक में अखाड़ा परिषद की तरफ से रखे जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने बताया कि 10 दिसंबर को अखाड़े में होने वाली बैठक को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गयी हैं।
श्री पंच निर्मोही अणी अखाड़े के परमाध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने भी मेला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस गति से काम हो रहा है। उसे देखते हुए मेला शुरू होने से पूर्व कार्यों का पूरा होना संभव नहीं लग रहा है। बैरागी अणियों को स्थायी जगह उपलब्ध कराने के लिए मेला प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है। जबकि बैरागी अखाड़ों की और से स्थायी जगह उपलब्ध कराने के संबंध में विधिवत रूप से मेला प्रशासन को प्रस्ताव भी दे दिया गया है। इसके बावजूद कोई प्रगति नहीं होने से अखाड़ों मे नाराजगी पनप रही है। श्री पंच निर्वाणी अणी अखाड़े के परमाध्यम श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने भी मेला प्रशासन से काम तेजी से संपन्न कराने तथा बैरागी अखाड़ों को स्थायी रूप से जगह उपलब्ध कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले से करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएं जुड़ी हैं। श्रद्धालुओं व संतों को सुविधाएं उपलब्ध कराना ही मेला प्रशासन का मुख्य कार्य है। इसमें किसी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए।
निर्मल अखाड़े के अध्यक्ष ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि महाकुंभ करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। महाकुंभ के दौरान गंगा स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं को सड़क, बिजली, पानी, सुरक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना मेला प्रशासन का दायित्व है। मेला प्रशासन को सभी कार्य तेजी के साथ पूरे करने चाहिए।
खासतौर पर सड़कों, फ्लाईओवर, पुलों का निर्माण तेजी से पूरा कराना चाहिए। अखाड़ों में होने वाले स्थाई कार्य अभी तक शुरू नहीं किए गए हैं। जबकि अक्टूबर 2020 में सभी तेरह अखाड़ों से जुड़े संतों का हरिद्वार पहुंचना शुरू हो जाएगा। अखाड़े तो अपनी तैयारियां कर रहे हैं। लेकिन मेला प्रशासन के पास समय लगातार कम होता जा रहा है। इसलिए मेला प्रशासन को कुंभ से संबंधी कार्यो में तेजी लानी चाहिए। मुखिया महंत भगतराम, महंत दामोदरदास, महंत जसविन्दर सिंह, श्रीमहंत रामरतन गिरी, महंत लखनगिरी, महंत डोगर गिरी सहित तमाम संतों ने मेला प्रशासन से अखाड़ों में होने वाले स्थाई कार्य जल्द शुरू कराने की मांग की है।