Breaking News :
>>दीपम सेठ बने उत्तराखण्ड के नये डीजीपी>>पॉल्यूशन से बचने के लिए कौन सा मास्क बेहतर? यहां जानिए जवाब>>बेकाबू ट्रक की टक्कर से यूकेडी नेता समेत दो की मौत>>अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला संस्कृति व हस्तशिल की समृद्ध विरासत को देता है नयी पहचान- सीएम धामी>>देश के लिए चुनौती बने सड़क हादसे>>यूपी में नौ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बसपा ने किया बड़ा ऐलान >>हर्ष फायरिंग के दौरान नौ वर्षीय बच्चे को लगी गोली, मौके पर हुई मौत >>अपने सपनों के आशियाने की तलाश में हैं गायिका आस्था गिल>>केदारनाथ विधानसभा सीट पर मिली जीत से सीएम धामी के साथ पार्टी कार्यकर्ता भी गदगद>>क्या लगातार पानी पीने से कंट्रोल में रहता है ब्लड प्रेशर? इतना होता है फायदा>>प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 116वें एपिसोड को किया संबोधित>>क्या शुरू होगा तीसरा विश्व युद्ध? व्लादिमीर पुतिन की धमकी और बढ़ता वैश्विक तनाव>>देहरादून के इस इलाके में देर रात अवैध रुप से चल रहे बार और डांस क्लब पर पुलिस ने मारा छापा>>प्रदेश के खेल इंफ़्रास्ट्रक्चर में मील का पत्थर साबित होगा लेलू में बन रहा बहुउद्देशीय क्रीड़ा हॉल – रेखा आर्या>>गंदे पानी और गंदी हवा गंदी राजनीति का प्रतिफल>>यह जीत केदारनाथ क्षेत्र के जन-जन की जीत : रेखा आर्या>>‘ब्रांड मोदी’ के साथ लोगों के दिलों में तेजी से जगह बनाता ‘ब्रांड धामी’>>महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत सनातन की जीत : महाराज>>प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों से भारत को जानिए प्रश्नोनत्तरी में भाग लेने का किया आग्रह>>डीआरआई की बड़ी कार्रवाई : मुंबई हवाई अड्डे पर 3496 ग्राम कोकीन के साथ एक संदिग्ध को किया गिरफ्तार
Articles

देश के लिए चुनौती बने सड़क हादसे

अमित बैजनाथ गर्ग
यूं तो अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाली सड़के देश के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं, लेकिन आए दिन होने वाले सडक़ हादसे कई सवालिया निशान भी खड़े कर रहे हैं। सड़क हादसे भारत जैसे विकासशील देश के लिए चुनौती बने हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले साल वैश्विक सडक़ सुरक्षा सप्ताह के दौरान एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसके अनुसार वैश्विक स्तर पर सडक़ दुर्घटनाओं में प्रति वर्ष 1.35 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं, और 50 मिलियन से अधिक लोगों को गंभीर शारीरिक चोटें आती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में सडक़ दुर्घटनाओं के कारण होने वाली कुल मौतों में से 11 प्रतिशत भारत में होती हैं।

सड़क दुर्घटनाओं के कारण भारत को होने वाले नुकसान को लेकर विश्व बैंक के आकलन के अनुसार, 18-45 आयु वर्ग के लोगों की सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर सर्वाधिक 69 प्रतिशत है। इसके अलावा 54 प्रतिशत मौतें और गंभीर चोटें मुख्य रूप से संवेदनशील वगरे जैसे पैदल यात्री, साइकिल चालक और दोपहिया वाहन सवार आदि में देखी जाती हैं। भारत में 5-29 वर्ष आयु-वर्ग के बच्चों और युवा वयस्कों में सडक़ दुर्घटना मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। विश्व सडक़ सांख्यिकी के अनुसार, 2018 में सडक़ दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या में भारत दुनिया में पहले स्थान पर था। इसके बाद चीन और अमेरिका का नंबर आता है।

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 76 प्रतिशत दुर्घटनाएं ओवरस्पीडिंग और गलत साइड पर गाड़ी चलाने जैसे यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं। कुल सडक़ दुर्घटनाओं में दोपहिया वाहनों और पैदल चलने वालों की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके बावजूद सडक़ यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन के दौरान इस विषय पर ध्यान नहीं दिया जाता। यातायात इंजीनियरिंग और नियोजन सडक़ों को विस्तृत करने तक ही सीमित है, जिसके कारण कई बार सडक़ों और राजमागरे पर ब्लैक स्पॉट बन जाते हैं।

ब्लैक स्पॉट वे स्थान होते हैं, जहां सड़क दुर्घटना की आशंका सबसे अधिक रहती है। सडक़ दुर्घटनाओं के कारण होने वाली 80 प्रतिशत मौतों के लिए वाहन चालक प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार होते हैं। यह तथ्य देश में अच्छे ड्राइविंग स्कूलों की कमी की ओर भी इशारा करता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ‘भारत में सडक़ दुर्घटनाएं’ शीषर्क वाली रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2022 में सड़क दुर्घटना में लगभग 68 प्रतिशत मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुई, जबकि कुल दुर्घटना मौतों में शहरी क्षेत्रों का योगदान 32 फीसद रहा। दुर्घटनाओं और मृत्यु दर, दोनों में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी सर्वाधिक रही।

यूं तो सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार अपने स्तर पर काफी प्रयास कर रही है, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। सडक़ सुरक्षा के बारे में प्रभावी जन जागरु कता बढ़ाने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से मीडिया के सभी माध्यमों द्वारा विभिन्न प्रचार उपाय एवं जागरु कता अभियान चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा मंत्रालय सडक़ सुरक्षा समर्थन के संचालन के लिए विभिन्न एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भी योजना का संचालन कर रहा है।

इंजीनियरिंग योजना स्तर पर सडक़ सुरक्षा को सडक़ डिजाइन का एक अभिन्न अंग बनाया गया है। सभी राजमार्ग परियोजनाओं का सभी चरणों में सड़क सुरक्षा ऑडिट अनिवार्यकिया गया है। इसके साथ ही मंत्रालय ने वाहन की अगली सीट पर ड्राइवर की बगल में बैठे यात्री के लिए एयरबैग के अनिवार्यप्रावधान को लागू किया है। इसके साथ ही कानूनों और प्रवर्तन में सुधार, ढांचागत परिवर्तनों के माध्यम से सड़को को सुरक्षित बनाना और सभी वाहनों में जीवनरक्षक तकनीक उपलब्ध कराना जरूरी किया जाना चाहिए।

असल में सड़क हादसों में कमी लाने के लिए जरूरी है कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन का प्रयास किया जाए। हेलमेट और सीट बेल्ट के प्रयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकांश सडक़ दुर्घटनाएं इन्हीं कारणों से होती हैं। लोगों को शराब पीकर गाड़ी न चलाने के प्रति जागरूक करना होगा। वहीं दुर्घटना के बाद तत्काल प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराना और पीड़ति को जल्द अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था करने से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।

दुर्घटना के बाद आस-पास खड़े लोग घायल की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। सडक़ों की योजना, डिजाइन और संचालन के दौरान सुरक्षा पर ध्यान देना सडक़ दुर्घटनाओं में मौतों को कम करने में प्रभावी योगदान दे सकता है। जब तक इन सुझावों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक सडक़ दुर्घटनाओं को कम करना संभव नहीं होगा। जरूरी है कि सडक़ सुरक्षा से संबंधित सभी पहलुओं पर विचार करते हुए आवश्यक उपायों की खोज की जाए।

Loading

Ghanshyam Chandra Joshi

AKASH GYAN VATIKA (www.akashgyanvatika.com) is one of the leading and fastest going web news portal which provides latest information about the Political, Social, Environmental, entertainment, sports etc. I, GHANSHYAM CHANDRA JOSHI, EDITOR, AKASH GYAN VATIKA provide news and articles about the abovementioned subject and am also provide latest/current state/national/international news on various subject.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!